माँ से उद्भव पाकर जब अपना मुँह खोला।हिंदी के माध्यम से पहले अक्षर माँ ही बोला

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 हिंदी दिवस के अवसर 10 जनवरी को के0बी0हिंदी सेवा न्यास (पंजी0)द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री हरवरूप शर्मा ने की।संचालन विजय कुमार सक्सेना ने किया।
न्यास के अध्यक्ष डॉ0सतीश चंद्र शर्मा 'सुधांशु' एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माँ वाणी को पुष्पांजलि से शुभारम्भ किया गया।वाणी वंदना साक्षी शर्मा द्वारा प्रस्तुति की गई।
न्यास अध्यक्ष डॉ0सतीश चंद्र शर्मा 'सुधांशु' ने सुनाया-
संस्कृति है सार इसका।
संस्कृत आधार इसका।
कर रही है हिंद का
उद्धार भाषा हिन्द की।।
रमेश चन्द्र मिश्र 'सहज'ने सुनाया-
माँ से उद्भव पाकर जब अपना मुँह खोला।
हिंदी के माध्यम से पहले अक्षर माँ ही बोला।।
श्रीपाल शर्मा 'शमन' ने कहा-
मोदी तुम्हें राष्ट्र की चिंता,
यह निश्चित यथार्थ।
किन्तु हमारे मन को भाता,
केवल अपना स्वार्थ।।
विजय कुमार सक्सेना 'विजय' ने कहा-
आओ बात करें हिंदी की।
माँ के माथे की बिंदी की।
आओ इसका मान करें हम।
हिंदी का सम्मान करें हम।
साक्षी शर्मा ने कहा-
हिंदी में हो जन जन साक्षर।
हिंदी में ही हों हस्ताक्षर ।
अध्यक्षता कर रहे हरस्वरूप ने सुनाया-
आते जाते हुए गुनगुनाया करो।
हिंदी बोला करो हिंदी गाया 
करो।
अशोक कुमार शर्मा 'अशोक' ने कहा-
हिंदी हैं हम हिन्द हमारा,हिंदी अपना मान।
मन को छूने वाली भाषा,हिंदी
अपना प्राण।।
रुद्रांश वत्स भार्गव ने कहा-
सरल सहज है कितनी हिंदी।
भारत के माथे की बिंदी ।
स्तुति शर्मा ने कहा-
हिंदी अपनी जान है।
हिंदी अपनी जान है।
अक्षांश वत्स भार्गव ने कहा-
हिंदी बोलें हिंदी गायें।
भारत माँ की शान बधाएँ।
अध्यक्षीय उद्बोधन में हरस्वरूप शर्मा ने कहा-हिंदी हमारी मातृ भाषा ही नहीं बल्कि समाज के लिए प्रयोजन मूलक तत्व भी है।इसे शीघ्र अति शीघ्र राष्ट्रभाषा  का गौरव प्रदान किया जाए तभी 'नये भारत' कल्पना साकार हो सकेगी।इस अवसर में गिरीश चन्द्र शर्मा, शिप्रा शर्मा, दिव्यांशु शंखधार, ज्ञानेश भिल्ला, सुधीर कुमार उपस्थित रहे।

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